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शनिवार, 19 अप्रैल 2014

Chumban or Jhapad

चुंबन और झापड़



गली के मोड़ पर
एक आलीशान दुकान
तीन ग्राहक विद्यमान
वृद्धा, तरूणी, जवान

सामानें के बीच उलझा हुआ दुकानदार
चल रहा लेन-देन, बात-व्यवहार
ज्योति उड़ी धुआंधार
निविड़ अंधकार
स्याही में सभी डूबने लगे।

अंधेरे में जवान को सूझै
मजाक एक प्यारा
उसने अपने हाथ का चुंबन लिया
और दुकानदार को एक झापड़ मारा।

चुंबन और झापड़ गूंज उठा
ज्यों लाभ और घाटा
लड़खड़ा उठा सन्नाटा

बुढ़िया सोचने लगी --
चरित्रवान युवती ने उचित व्यवहार किया
चुंबन का झापड़ से जवाब दिया।

तरुणी सोचती है --
हाय रे मूर्ख नादान, अजनबी अनजान
मुझे छोड़कर बुढ़िया पर मर-मिटा
बेचारा अनायास पिटा।

और दुकानदार पछताता हुआ
अपना गाल सहलाता हुआ
सोच-सोच कर रहा है गम
हाय-हाय, चुंबन उसने लिया पिट गये हम।

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