गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

Chirag se na puchho baki tel kitna hai..

चिराग से न पूछो बाकि तेल कितना है....


चिराग से न पूछो बाकि तेल कितना है....
सांसो से न पूछो बाकि खेल कितना है,
पूछो उस कफ़न में लिपटे मुर्दे से..
जिन्दगी में गम और कफ़न में चैन कितना है.....

शाम का आन्नद लेते रहो मेरे दोस्त...

1 टिप्पणी:

koi jhijhak nahi, kripya kuchh bhi jarur likhen....
or aage achha karne-likhne ka sahas badhayen.