
आमिर खान का रजतपट पर प्रवेश एक सुनहरे सपने जैसा है। नब्बे के दशक का देश का युवा वर्ग जब दिशाहीन होता जा रहा था। आमिर खान ने अपने आगमन से उनके सपनों को आकार दिया। युवा वर्ग परदे पर जो देखना चाहता था, उसे फिल्म 'कयामत से कयामत तक' के माध्यम से प्रस्तुत किया। आधुनिक रोमियो-जूलियट अंदाज में आई इस फिल्म से आमिर 'नेक्स्ट-डोअर' पड़ोसी लड़के की तरह युवा वर्ग के चहेते बन गए।
अपने 'पावर हाउस परफार्मेंस' से आमिर खान हर फिल्म में दर्शकों को लुभाते रहे हैं। उनकी संवेदनशीलता उनका ऐसा निजी गुण है, जिससे आमिर ने अपने समकालीन नायकों को तेजी से पीछे छोड़ दिया। कम फिल्मों में काम करना और बेहतर किरदारों का सावधानी से चयन उनकी विशेषता रही है। अपने बोंसाई कद के बावजूद उनके द्वारा निभाए गए किरदार 'लार्जर देन लाइफ' साबित हुए हैं, इसीलिए आमिर को 'परफेक्शनिस्ट एक्टर' माना जाता है।
आमिर खान की सबसे बड़ी क्षमता है अपने चरित्र को जीवंत बना देना। यही वजह रही है कि फ्लॉप या नए डायरेक्टर आमिर की उपस्थिति से सुपरहिट की श्रेणी में आ गए। रामगोपाल वर्मा (रंगीला), धर्मेश दर्शन (राजा हिन्दुस्तानी), विक्रम भट्ट (गुलाम), आशुतोष गोवारीकर (लगान), जॉन मैथ्यू मथान (सरफरोश), फरहान अख्तर (दिल चाहता है), गजनी, ३ इदियेट्सके नाम गिनाए जा सकते हैं।
फिल्म लगान आमिर खान की ऐसी ऑल टाइम ग्रेट मास्टर पीस पीरियड फिल्म है, जो देश से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मंच पर सराही एवं पसंद की गई। ऑस्कर के लिए नामांकन एक उपलब्धि है। देश के बिजनेस मैनेजमेंट इंस्टीट्यूशंस में लगान को लेकर शोध प्रबंध प्रस्तुत किए गए और कक्षाओं में उसे 'टेक्स्ट फिल्म' की तरह पढ़ाया-समझाया गया।
‘तारे जमीं पर’ निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म है। अमोल गुप्ते का काम आमिर को जब पसंद नहीं आया तो उन्होंने निर्देशन की कमान अपने हाथों में ली। इस फिल्म के जरिये आमिर ने बताया कि बच्चों पर उनके माता-पिताओं को अपने सपनों को नहीं थोपना चाहिए। जरुरत है कि बच्चों के नजरिये को समझने की। आमिर खान इस फिल्म में एकमात्र स्टार हैं और वे भी मध्यांतर के ठीक पहले स्क्रीन पर आते हैं। आमिर ने अपने कुशल निर्देशन से साबित किया कि बिना सेक्स, फूहड़ कॉमेडी और बिना स्टार्स के भी सफल फिल्म बनाई जा सकती है।
आमिर की श्रेष्ठ फ़िल्में :

2) गजनी (2008) : यह फिल्म शुद्ध रुप से व्यावसायिक फिल्म है। बदले के थीम पर आधारित इस फिल्म में रोमांस और एक्शन उभरकर सामने आता है। आमिर ने प्रचार के महत्व को जानकर इस फिल्म के प्रचार के लिए नई रणनीति बनाई। अपनी एट पैक एब्स बॉडी का उन्होंने जमकर प्रचार किया कि लोग फिल्म देखने के लिए टूट पड़े। यह फिल्म भारतीय फिल्म इतिहास की सफलतम फिल्मों में से एक है।
3) तारे जमीं पर (2007) : अभिनेता आमिर पर निर्देशक आमिर भारी पड़े। बिना स्टार्स, अंग-प्रदर्शन और फूहड़ हास्य के सफल फिल्म बनाकर आमिर ने साबित किया कि अच्छी फिल्म बनाई जाए तो भी बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई जा सकती है। इस फिल्म ने आमिर के कद को और ऊँचा किया।
4) रंग दे बसंती (2006) : युवा वर्ग की ताकत की ओर यह फिल्म इंगित करती है। हमारे देश में कई युवा ऐसे हैं, जिनके सामने कोई लक्ष्य नहीं है और वे निरर्थक बातों में अपनी शक्ति को जाया करते हैं। आमिर ने पूरी तरह डूबकर अपनी भूमिका अभिनीत की और बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने कामयाबी हासिल की।

5) दिल चाहता है (2001) : फरहान अख्तर जैसे नए और युवा निर्देशक के साथ आमिर ने काम करना स्वीकार किया। इस फिल्म को भारतीय फिल्म इतिहास का टर्निंग पाइंट कहा जा सकता है। ताजगी से भरी इस फिल्म ने कई लोगों को नई सोच की फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया। आमिर इस फिल्म में अनोखे हेयर स्टाइल में नजर आए और अपने अभिनय में उन्होंने नए प्रयोग किए।
6) लगान (2001) : क्रिकेट और देशभक्ति को जोड़कर आमिर और आशुतोष गोवारीकर ने एक महान फिल्म की रचना की। आमिर ने इस फिल्म पर पैसा लगाकर जोखिम मोल लिया था। भुवन का किरदार हमेशा याद किया जाएगा, जो क्रिकेट के जरिये अँग्रेजों से टकराता है। ‘लगान’ की गिनती श्रेष्ठ भारतीय फिल्मों में की जाती है।
7) सरफरोश (1999) : ‘सरफरोश’ आमिर की बेहतरीन फिल्मों में से गिनी जाती है। पुलिस वाले की भूमिका आमिर नहीं निभा सकते हैं, शायद यह बात गलत साबित करने के लिए उन्होंने ‘सरफरोश’ की।
8) रंगीला (1995) : एक टपोरी युवक की भूमिका को आमिर ने इतनी खूबसूरती के साथ पेश किया कि मिमिक्री आर्टिस्ट आमिर को इसी अंदाज में दर्शकों के सामने दोहराते हैं।

9) अंदाज अपना-अपना (1994) : कई बार देखने पर भी यह फिल्म बोर नहीं करती। आमिर-सलमान की कैमेस्ट्री खूब जमी। इस फिल्म में आमिर के अंदर का हास्य अभिनेता उभरकर सामने आया। अनेक लोग चाहते हैं कि इस फिल्म का सीक्वल बनाया जाना चाहिए।
10) जो जीता वही सिकंदर (1992) : स्कूली जीवन को यह फिल्म नजदीक से दिखाती है। आमिर ने स्कूली छात्र की भूमिका निभाई। आमिर पर फिल्माया ‘पहला नशा’ गाना लोगों को अब तक याद है। इस फिल्म को खास कामयाबी नहीं मिली, शायद यह समय से आगे की फिल्म थी।
11) कयामत से कयामत तक (1998) : किसी हीरो को लांच करने के लिए टिपीकल बॉलीवुड फिल्म। प्रेमी-प्रेमिका। घर वाले रुकावट। प्यार के लिए जीने-मरने की कसमें। लेकिन आमिर की मासूमियत लोगों को इस कदर अच्छी लगी कि धीरे-धीरे इस फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। इस फिल्म ने आमिर की इमेज ‘लवर बॉय’ की बना दी, जिससे बाहर निकलने में उन्हें काफी समय लगा।

आमिर खान को परदे पर देखना कुछ उस तरह है, जैसे जीवन बीमा की प्रीमियम अदा करना।
आमिर खान : एक नजर
नाम : आमिर खान
जन्म : 14 मार्च 1965
शिक्षा : 12वीं
पिता : ताहिर हुसैन
माता : जीनत हुसैन
भाई : फैसल खान
बहन : निखत और फरहत
पत्नी : रीना दत्ता (अब तलाकशुदा) किरण राव (वर्तमान)
बच्चे : जुनैद (बेटा), इरा (बेटी)
पता : 11, बेला विस्टा अपार्टमेंट्स, पाली हिल, बान्द्रा (पश्चिम),
मुंबई : 400050
आमिर खान : एक नजर
नाम : आमिर खान
जन्म : 14 मार्च 1965
शिक्षा : 12वीं
पिता : ताहिर हुसैन
माता : जीनत हुसैन
भाई : फैसल खान
बहन : निखत और फरहत
पत्नी : रीना दत्ता (अब तलाकशुदा) किरण राव (वर्तमान)
बच्चे : जुनैद (बेटा), इरा (बेटी)
पता : 11, बेला विस्टा अपार्टमेंट्स, पाली हिल, बान्द्रा (पश्चिम),
मुंबई : 400050
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koi jhijhak nahi, kripya kuchh bhi jarur likhen....
or aage achha karne-likhne ka sahas badhayen.