गुरुवार, 1 सितंबर 2011

BODYGARD : SALMAN KHAN

फिर भी तन्हा और अकेला है बॉलीवुड का 'बॉडीगार्ड'

सलमान खान! जी हां, आज बॉलीवुड का सबसे चर्चित अभिनेता और सबसे ज्यादा बिकाऊ नाम लेकिन क्या आप जानते हैं कि बॉलीवुड का यह दबंग बॉडीगार्ड निजी जिदंगी में कितना तन्हा है? नहीं ना... तो ‍पढ़िए उसकी तन्हाई की दास्तान...

मेरी उम्र 45 के पार हो गई है। मेरे पास दौलत की कोई कमी नहीं है, लेकिन लगता है कि खुदा ने मेरे हिस्से में 'लेडी का गुडलक' लिखा ही नहीं है। मेरा जन्म इंदौर में हुआ। मेरे पिता सलीम फिल्मी दुनिया में बतौर कहानी लेखक के रूप में मशहूर हो चुके थे।

मेरी स्कूली शिक्षा ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में हुई लेकिन वहां मैंने पढ़ाई के अलावा वो सब कुछ किया जो मैं करना चाहता था। शैतानियां की, मस्ती की और क्रिकेट खेला। स्कूली दिनों से ही मेरा स्वभाव चंचल रहा। मुंबई में कॉलेज के दौरान मुझे फुटबॉल का शौक लगा लेकिन एक दिन सोचा कि इन सबसे जिंदगी की गाड़ी नहीं चलने वाली है।

मैंने मॉडलिंग की लेकिन मेरा दुबला-पतला चेहरा नकार दिया गया। मैं नामी लड़कियों को अपनी गर्लफ्रेंड बनाता ताकि उनकी वजह से मेरा भी नाम हो। संगीता बिजलानी से लेकर कई लड़कियों से दोस्ती की। सच बताऊं तो मॉडलिंग के जरिए मैं सिर्फ जेबखर्च ही निकाल पाया। मैं अपने पिता के नाम का उपयोग करके 'नाम' नहीं कमाना चाहता था। असल में वो मुझे डायरेक्टर या स्क्रिप्ट राइटर बनाना चाहते थे लेकिन मेरा मन तो फिल्मों में काम करने का था।

मैंने कई ऑडिशंस दिए लेकिन कम ऊंचाई के कारण मुझे नकार दिया। आखिरकार मुझे 'बीवी हो तो ऐसी' में पहला ब्रेक सपोर्टिंग स्टार के रूप में मिला लेकिन वो फिल्म ज्यादा नहीं चली। 1989 में राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म 'मैंने प्यार किया' कामयाबी से मेरी कामयाबी के दरवाजे भी खुल गए।

इस फिल्म ने मुझे रातोंरात स्टार बना दिया और सूरज बड़जात्या के लिए 80 के दशक की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई। यहीं से मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अब मेरे चाहने वालों के लिए 'ईद' पर रिलीज हो रही 'बॉडीगार्ड' में मैं नजर आऊंगा।

मुझे दुनिया की तमाम खुशियां मिलीं लेकिन 'लेडी लक' की कमी आज 45 की उम्र पार करने के बाद भी बरकरार है। मैं कभी अपनी निजी जिंदगी के बारे में दूसरों का दखल पसंद नहीं करता हूं। जब लोग कैटरीना के बारे में बात करते हैं तो मैं उन्हें एक ही जवाब देता हूं- ' वो आपकी बहन है? रिश्तेदार है? मेरा परिवार और मैं उसे जानता हूं, हम दोनों के बीच क्या है, इससे आपको क्या मतलब?'

लोग मुझे बॉलीवुड का सबसे 'पापुलर बैचलर' कहने से भी नहीं चूकते। कैटरीना ही नहीं, इसके पहले भी मेरी जिंदगी में कई लड़कियां आईं। वो जितनी खूबसूरती से आती हैं, उतनी ही खूबसूरती से चली जाती हैं। मेरे पिता सलीम का ऐसा मानना है कि लड़कियां अपने करियर के प्रति मुझसे ज्यादा काठास रहती हैं। इसलिए मेरे घर नहीं बस पाया। सच बात तो ये है कि मैं अपनी लव लाइफ को पब्लिकली डिसकस नहीं करना चाहता।

जब भी मैं अकेला होता हूं तो उन लोगों के बारे में सोचता हूं जिन्हें मेरे नाम, मेरे चेहरे की जरूरत है। उन जरूरतमंदों के बारे में सोचता हूं, जिन्हें मेरी जरूरत है। इसीलिए मैंने चैरिटी का काम शुरू किया। मैं अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा अपनी चैरिटी संस्था को देता हूं ताकि पैसों के अभाव में बच्चों के चेहरों पर कुछ मुस्कुराहट ला सकूं। यही मुस्कुराहट मेरी तन्हाई को दूर कर देती है।

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koi jhijhak nahi, kripya kuchh bhi jarur likhen....
or aage achha karne-likhne ka sahas badhayen.