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बुधवार, 24 अगस्त 2011

125 करोड़ की खुशी


  • एक बार कपिल सिब्बल, चिदंबरम और दिग्विजय सिंह एक साथ हेलिकॉप्टर में जा रहे थे। सिब्बल ने एक 100 रुपये का नोट गिराया और कहा कि मैंने आज एक गरीब भारतीय को खुश कर दिया। तभी दिग्विजय सिंह ने 100 रुपये के 2 नोट गिराए और कहा, मैंने तो 2 गरीब भारतीयों को खुश कर दिया। अब चिदंबरम की बारी थी। उन्होंने एक रुपये के 100 सिक्के गिराए और कहा, मैंने 100 गरीब भारतीयों को खुश कर दिया। उनकी ये बातें सुनकर पायलट हंसा और कहा, अब मैं तुम तीनों को गिराने जा रहा हू, 125 करोड़ भारतीयों को खुशी मिलेगी। पायलट अन्ना हजारे थे।

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  • सोनू भिखारी से: तुम इस फिल्म के पोस्टर को ऐसे क्यों घूर रहे हो? भिखारी: मैं ही इस फिल्म का प्रड्यूसर हूं। 

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  • जैसे ही पता चला कि रजनीकांत भी अन्ना हजारे के सपोर्ट में आ गए हैं, दुनिया भर में खलबली मच गई कि कहीं दोनों मिलकर स्विस बैंकों को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग न रख दें। 
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  • बैरा, इधर आओ! ग्राहक चिल्लाया। बैरा सहमता हुआ ग्राहक के पास आ खडा हुआ।
    "देखो चाए के प्याले मे मक्खी पडी हुई है!" बैरे ने तर्जनी उंगली से मक्खी प्याले से निकाली और बहुत गौर से देखने लगा। फिर बडी गंभीरता से उत्तर दिया--
    " हमारे होट्ल की नही है"।
  • तूफान तेज़ी पर था। बडी हवेली की खिडकियां जोर-जोर से खड्खडा रही थी। एक बूडा नौकर मेहमान को शयनकक्ष की तरफ ले जा रहा था। रहस्यमय और भयानक वातावर्ण से डरे हुए मैहमान ने बूडे नौकर से पूछा, क्या इस कमरे मे कोई अप्रत्याशित घटना घटी है?"
    "चालीस साल से तो नही।" नौकर ने जवाब दिया।
    आशवस्त होते हुए मेहमान ने पूछा, " चालीस साल पहले क्या हुआ था?" बूडे नौकर के आखों मे चमक पैदा हुई और वह फुसफुसाते हुए बोला,
     "एक आदमी सारी रात इस कमरे मे ठहरा था और सुबह बिल्कुल ठीक ठाक उठा था।"
  • मज़दूर (मालिक से ) " गधे की तरह काम कराया और मज़दूरी सिर्फ बीस रुपया ... कुछ तो न्याय कीजिए।"
    मालिक (मुनीम से) " ठीक है यह न्याय मांगता है तो इस के सामने घास डाल दो और रुपये ले लो।
  • मुझे यह कार ख्ररीदे दो साल से जयादा हो चले हैं, लेकिन आपको यह जान कर हैरत होगी कि अभी तक इस की सर्विसिंग और मुरम्त का मैने एक भी पैसा नही दिया है ।’
    "जी नही, बिलकुल  हैरत नही हुई।"
    "क्यो?"
    क्योकि मुझे सर्विस स्टेश्‍न के मालिक ने पहले ही बता दिया था कि आपने दो साल से उसके बिलों का भुगतान नही किया है।"
  • फौज के एक सिपाही ने बडे अरमान से अपनी पत्नी के नाम व पत्ते के लेटरपैड छपवाए  ताकि वह जब उसे पत्र भेजे तो उन छपे हुए खूबसूरत कागजो पर ही भेजे। जब लेटरपैड छप कर आ गए तो अपने एक साथी को दिखाते हुए उस ने पूछा, " कहो कैसे छपे हैं ?"
    साथी बोला, " छपे तो अच्छे हैं लेकिन साथ ही इन पर संबोधन की जगह अपना नाम भी छपवा लेते तो बेहतर था।"
    "वह क्यो"
    "इसलिए कि इन कागज़ों पर किसी और को पत्र न लिखा जा सके।"

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