हर कोई अन्ना बने तो भ्रष्ट हर चेहरा मिटेगा.. |
चल पडी है एक आंधी, अब नया भारत उठेगा
सुप्त-सा यह मुल्क सारा, चेतना ले कर बढ़ेगा..
—
हमने जो सपने संजोये, धूल में वो मिल गए.
और फूलों की जगह, कुछ ‘बेशरम’ ही खिल गए.
स्वप्न की ह्त्या हुई है, और हत्यारा हँसे.
सांप थे आस्तीन में ही, दूध पी कर वे डसे.
आँख अपनी खुल गयी है, अब नहीं कोई डसेगा..
चल पडी है एक आंधी, अब नया भारत उठेगा …….
—
थे कभी गोरी हुकूमत, अब तो काले आ गए
वोट ले कर हमारा, ये हमें ही खा गए.
हर कदम पर छल मिला है, हर कोई संगीन है,
देख कर यह दृश्य बापू भी बड़ा ग़मगीन है.
इस सियासी छद्म से, पर्दा दुबारा अब हटेगा.
चल पडी है एक आंधी, अब नया भारत उठेगा ….
देश के दुश्मन है जो कि ज़ुल्म जन पर ढा रहे
ये है कैसा तंत्र, इसको चुन के हम पछता रहे.
कूच दिल्ली हम करें, उसको सबक जा कर सिखाएं,
देश में जम्हूरियत है, आइना अब तो दिखाएँ.
जग गयी तरुणाई तो फिर, कौन इससे अब बचेगा.
चल पडी है एक आंधी, अब नया भारत उठेगा…..
—
एक बूढ़ा शेर जागा, हम भला क्यों सो रहे?
पाप की गठरी को कब से देखिये हम ढो रहे..
ये पुलिस, सत्ता हमारी, खून सबका पी रही
हाय जनता मर रही है और ना यह जी रही.
हर कोई अन्ना बने तो भ्रष्ट हर चेहरा मिटेगा..
चल पडी है एक आंधी, अब नया भारत उठेगा
सुप्त-सा यह मुल्क सारा, चेतना ले कर बढ़ेगा..
सुप्त-सा यह मुल्क सारा, चेतना ले कर बढ़ेगा..
—
हमने जो सपने संजोये, धूल में वो मिल गए.
और फूलों की जगह, कुछ ‘बेशरम’ ही खिल गए.
स्वप्न की ह्त्या हुई है, और हत्यारा हँसे.
सांप थे आस्तीन में ही, दूध पी कर वे डसे.
आँख अपनी खुल गयी है, अब नहीं कोई डसेगा..
चल पडी है एक आंधी, अब नया भारत उठेगा …….
—
थे कभी गोरी हुकूमत, अब तो काले आ गए
वोट ले कर हमारा, ये हमें ही खा गए.
हर कदम पर छल मिला है, हर कोई संगीन है,
देख कर यह दृश्य बापू भी बड़ा ग़मगीन है.
इस सियासी छद्म से, पर्दा दुबारा अब हटेगा.
चल पडी है एक आंधी, अब नया भारत उठेगा ….
देश के दुश्मन है जो कि ज़ुल्म जन पर ढा रहे
ये है कैसा तंत्र, इसको चुन के हम पछता रहे.
कूच दिल्ली हम करें, उसको सबक जा कर सिखाएं,
देश में जम्हूरियत है, आइना अब तो दिखाएँ.
जग गयी तरुणाई तो फिर, कौन इससे अब बचेगा.
चल पडी है एक आंधी, अब नया भारत उठेगा…..
—
एक बूढ़ा शेर जागा, हम भला क्यों सो रहे?
पाप की गठरी को कब से देखिये हम ढो रहे..
ये पुलिस, सत्ता हमारी, खून सबका पी रही
हाय जनता मर रही है और ना यह जी रही.
हर कोई अन्ना बने तो भ्रष्ट हर चेहरा मिटेगा..
चल पडी है एक आंधी, अब नया भारत उठेगा
सुप्त-सा यह मुल्क सारा, चेतना ले कर बढ़ेगा..
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