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सोमवार, 8 अगस्त 2011

LATIFE_08-08-11

लतीफ़े

वकील (अपराधी से)- एक जैसी भैंसों में से तुमने अपनी भैंस को कैसे पहचान लिया, ये बताओ?
अपराधी (वकील से)- ये कौन सी बड़ी बात है वकील साहब? इस कोर्ट में काले कोट पहने सैंकड़ों वकील हैं, फिर भी मैं अपने वकील को पहचान रहा हूं अथवा नहीं?
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संता (बंता से)- यह दो हजार का चेक किसे भेज रहे हो?
बंता (संता से)- अपने छोटे भाई को।
संता- लेकिन चेक पर तुमने हस्ताक्षर तो किये ही नही।
बंता- मैं अपना नाम गुप्त रखना चाहता हूं।
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मां ने बच्चे को डांटा- देखो तुम अपने आप किसी चीज को मत उठाया करो, क्या जुबान नही है?
बच्चा- जुबान तो है मम्मी, लेकिन मैं जुबान से कोई चीज उठा नही सकता।
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एक बहुत मोटा किशोर अपने मोटापे के कारण अत्याधिक चिन्तित रहता था। आत्महत्या करने के लिए वह शहर की एक ऊंची इमारत से कूद गया। वह गिरते ही बेहोश हो गया और अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जब उसे होश आया तो उसने डॉक्टर से पूछा- डॉक्टर साहब, क्या में मर गया हूं?
डॉक्टर ने कहा- तुम तो नहीं मरे लेकिन तुम्हारे नीचे दबकर तीन व्यक्ति जरूर मर गये हैं।
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पति (पत्नी से)- क्या तुम मेरी मौसी की तरह नौकरी कर सकती हो?
पत्नी (पति से)- क्यों नही कर सकती। पर शर्त यह है कि तुम भी अपने मौसा की तरह घर का चूल्हा-चौका सम्भालो।
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मां ने बच्चे को डांटा- देखो तुम अपने आप किसी चीज को मत उठाया करो, क्या जुबान नही है?
बच्चा- जुबान तो है मम्मी, लेकिन मैं जुबान से कोई चीज उठा नही सकता।
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मां (चिंटू से)- तुमने आज सुधीर से लड़ाई की जबकि मैंने तुमको कई बार समझाया है कि जब भी गुस्सा आए फौरन 100 तक गिनती गिनो।
चिंटू (मां से)- हां मां, मैं तो ऐसा ही कर रहा था पर सुधीर की मां ने उसे 50 तक ही गिनने को कहा था।
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मां (सोनू से)- तुम सारे दिन खेलते ही रहते हो, पढ़ते भी हो।
सोनू (मां से)- रात को पढ़ता हूं।
मां- रात को कब पढ़ते हो?
सोनू- जब सारे घर वाले सो जाते हैं तब अकेला बैठकर पढ़ता हूं।
मां- लेकिन रात को मैं दो बजे तक जागती रही, तू तो आराम से सो रहा था।
सोनू- कह तो दिया मां, जब कोई जागता नहीं, उसी समय ही मैं पढ़ा करता हूं।

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