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बुधवार, 7 सितंबर 2011

Unki kismat ka bhi kaisa sitara hoga



उनकी  किस्मत का भी कैसा सितारा होगा
जिनको मेरी तरह तक़दीर ने मारा होगा
किनारे पर बैठे लोग ये क्या जाने 
डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा…



Unki kismat ka bhi kaisa sitara hoga
Jinko meri tarah takdir ne mara hoga
Kinare par baithe log ye kya jane
Doobne wale ne kis-kis ko pukara hoga…



वो तो दिवानी थी मुझे तन्हां छोड गई,
खुद न रुकी तो अपना साया छोड गई,
दुख न सही गम इस बात का है..
आंखो से करके वादा होंठो से तोड गई.


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एक जनाजा और एक बारात टकरा गए,
उनको देखने वाले भी चकरा गए,
ऊपर से आवाज आई-”ये कैसी विदाई है?
महबूब की डोली देखने साजन कि अर्थी भी आई है.


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दिल में प्यार का आगाज हुआ करता है,
बातें करने का अंदाज हुआ करता है,
जब तक दिल को ठोकर नहीं लगती,
 
सब को अपने प्यार पर नाज हुआ करता है.

Good Night

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