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मंगलवार, 5 जुलाई 2011

फादर डे पर कविता




पिता का प्यार मां के बाद ही आंका जाता है
पिता का स्थान भी मां के बाद ही आता है।
मां के पैरों तले ही तो जन्नत भी होती है
बाप के दिल से होके उसका रस्ता जाता है।
माना कि मां का प्यार सबसे उंचा होता है
बाप का रिश्ता भी तो बेटे से ख़ास होता है।
मां बेटे के सर पे हाथ रख खाना खिलाती है
पिता का प्यार उसको जीना सिखाता है।
हाथ मां के साथ सर पर बाप का भी जरूरी है
बाप जिम्मेदारियों का सब बोझ उठाता है।

कभी ऊचाइयों से डर नहीं लगता
कभी रुसवाइयों से डर नहीं लगता।
खुशियों से डर लगता है हर वक़्त
कभी उदासियों से डर नहीं लगता।
तैरना आ गया है दिल को जब से
अब गहराइयों से डर नहीं लगता।
मुहब्बत दीवानापन और रतजगे
इन बस्तियों से डर नहीं लगता।
खामोश परछाइयाँ देखी हैं इतनी
अब वीरानियों से डर नहीं लगता।
अपने रूप पर कभी घमंड था हमें
अब बरबादियों से डर नहीं लगता।
जिंदगी भर नादानियाँ की इतनी
अब नादानियों से डर नहीं लगता।

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