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बुधवार, 25 अप्रैल 2012

चाणक्य निति_भाग-1



  1. मूर्ख को ज्ञान दे कर, बूरी पत्नी के साथ , और नगण्य से अत्यधिक मित्रता से एक पंडित भी गहरे दुःख का अह्शाश करता है ।
  2. वैसे देश मे न रहना जहा तुम्हारा आदर न हो, तुम अपनी जीविका न कमा सको , जहा तुम्हारा कोई दोस्त न हो या जहाँ ज्ञान प्राप्ति न हो।
  3. बुद्धिमान व्यक्ति कभी वैसे देश नही जाते जहा आजीविका का कोई साधन न हो , जहा लोगो को किसी का दर न हो, जहाँ शर्म का अह्शाश न हो, कोई ज्ञान न हो और परोपकारी प्रवृति न हो।
  4. कभी इन्हें अपना विश्वाश न दे, लाब्लाबती नदी, सस्त्रधारी व्यक्ति, सींग या पंजे वाले जानवर, अतिसुन्दर कन्या और शाही परिवार के सदस्य।
  5. स्त्रियों मे पुरुषों के मुकाबले दोगुनी भूख, चर्गुनी शर्म, छःगुनी निर्भीकता और आठ्गुनी कामुतेजना होती है।
  6. आज्ञाकारी संतान, प्रेम करने वाली अच्छे आचरण वाली पत्नी और अपने धन से संतुस्ट व्यक्ति के लिए धरती पर ही स्वर्ग है । संकलन : राजेश मिश्रा

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