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सोमवार, 10 सितंबर 2012

डर्टी पिक्चर के पीछे का सच क्या है?


वे दबंग हैं, बिंदास हैं, दिलफरेब हैं और उनका कहना है कि उन्हें अपनी शर्तों पर जीना आता है। यह बात उन सैकड़ों लड़कियों के बारे में है, जो आइटम गर्ल या सेक्स सिंबल के तौर पर मर्दों की इस दुनिया पर राज कर लेना चाहती हैं। मीडिया उनके किस्सों से भरा है, कैमरे उनकी हर अदा पर टिके हैं और वे मशहूर होने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहतीं। उनके लिए इससे बेहतर वक्त कभी नहीं आया।

अगले महीने जब विद्या बालन की डर्टी पिक्चर देखने के बाद  तो हम सेक्स और ग्लैमर के बिजनेस की, हमारे इस संसार में एक सेक्सी औरत होने की कुछ हकीकतों से रूबरू होने की उम्मीद कर सकते हैं। क्योंकि यह फिल्म जिस सिल्क स्मिता की जिंदगी पर बनी बताई जा रही है, उसकी कहानी यही थी। जिन्हें नहीं मालूम थी उनको भी सिल्क के बारें में बहुत कुछ हासिल हो गई।


सिल्क स्मिता, जैसा कि आप जानते होंगे, अस्सी के दशक में साउथ की एक बेहद कामयाब ऐक्ट्रेस थीं, जिन्होंने अपनी सेक्स अपील से तहलका मचा दिया था। हिंदी सिनेमा की बिंदु और हेलन जैसा नाम उन्हें नहीं मिला, लेकिन साउथ के सिनेमा में उनके जैसा कोई नहीं हुआ। उन्होंने 450 फिल्मों में काम किया और अपने वक्त की सबसे कमाऊ ऐक्ट्रेस बनीं। उनकी सेक्स अपील का जादू इतना जबर्दस्त था कि उनके महज एक डांस को अपनी फिल्म में लेने के लिए हर फिल्मकार बेताब रहता था। सिल्क का होना फिल्म को हिट बना सकता था। 23 सितंबर 1996 को उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। तब उनकी उम्र सिर्फ 36 बरस थी।
सिल्क स्मिता 

सिल्क स्मिता को नई पीढ़ी के लोग नहीं जानते। वैसे भी सिनेमा इतना बदल गया है कि उन्हें याद रखना गैरजरूरी हो गया है। लेकिन इस बीच ग्लैमर और सेक्स की दुनिया कई गुना फैल गई है और सिनेमा या उससे बाहर देह का दबदबा ज्यादा बढ़ा है। सेक्सी होना अब उस तरह से डर्टी नहीं रह गया है और उसने मेनस्ट्रीम को कब्जा लिया है। लेकिन स्मिता की कहानी वाली दुनिया कुछ खास नहीं बदली है। हमारी दुनिया में अपनी जगह पाने की कोशिश कर रही किसी भी खूबसूरत लड़की की कहानी सिल्क जैसी हो सकती है। फर्क है तो यही कि सिल्क उस अंत तक पहुंच जाती है, जो इस कहानी की ट्रैजिडी को मुकम्मल बना देता है।

सिल्क स्मिता का असल नाम विजयलक्ष्मी था और उनका जन्म आंध्र के एक गांव एलुरु में हुआ था। गरीबी इस कदर थी कि चौथी क्लास में अपनी पढ़ाई छोड़कर उसे कुदानबक्कम आना बड़ा, जो तमिल फिल्मों की राजधानी था। वहां उन्होंने मेकअप-गर्ल के तौर पर काम शुरू किया और उनकी चाहतों ने पंख खोलने शुरू किए। छोटे गांव की एक लड़की ने कामयाबी के सपने देखे और वह दुनिया जीतने निकल पड़ीं। उन्होंने सिनेमा में कदम रखा और जल्द ही अपने डांस का सिक्का जमा लिया। सिल्क के उत्तेजक हाव-भाव, आर्ट और सेक्स अपील ने साउथ में एक नया इंद्रजाल रच दिया। सिल्क पर पैसे और शोहरत की बारिश होने लगी। जैमिनी, कमल हासन, रजनीकांत और चिरंजीवी जैसे स्टार्स के साथ उन्होंने काम किया और अपनी दुनिया की मलिका बन गईं।

सिल्क की कहानी हमारे सामने कई जटिल सवाल खड़े करती है: जब एलुरू की विजयलक्ष्मी स्टार बनने का ख्वाब देखती है, तो उसके पास क्या कोई चॉइस होती है? क्या विजय से सिल्क बन जाना उसकी चॉइस थी? क्या उसके लिए यह फैसला किसी और ने नहीं लिया था? क्या उसके पास आइटम गर्ल या सेक्स बम बनने के अलावा भी कोई रास्ता हो सकता था? क्या उसकी देह ने उसकी किस्मत का फैसला कर दिया था?

ये सवाल इसलिए उठते हैं कि सिल्क ने आगे चलकर अपनी इमेज से बाहर आने की छटपटाहट दिखाई थी। एक फिल्म में उन्होंने लगातार साड़ी पहने रखी थी और अपने पति के जुल्मों का मुकाबला करती औरत का किरदार निभाया था। मोंदरम पिरै उनकी एक और संजीदा फिल्म है। लेकिन सिल्क के लिए वह रास्ता ज्यादा दूर नहीं जा सकता था। बाजार को सिल्क की जरूरत थी, विजया की नहीं।


यह अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने का फंडा भी सिल्क की कहानी से सवालों के घेरे में आ जाता है। आप शर्तें तय करते हैं, लेकिन क्या दुनिया उन्हें लागू होने देगी? यह जानकर आपको कतई हैरानी नहीं होगी कि इस बेहद कामयाब ऐक्ट्रेस की निजी जिंदगी बिखरती रही। उनके लव अफेयर्स नाकाम होते रहे। उन्होंने फिल्म प्रॉडक्शन में हाथ आजमाए और नाकाम रहीं। फिर सिनेमा का ट्रेंड बदलने लगा और सिल्क के अलावा दूसरे फॉर्म्युले तलाशे जाने लगे। प्राइवेट और पब्लिक लाइफ में नाकाम होती सिल्क गहरे डिप्रेशन की कैद में चली गईं और आखिर में उनकी वह खूबसूरत देह, जिसे लाखों मर्द लालसा से देखने थिएटर के अंधेरे में सांस रोक कर बैठा करते थे, छत से लटकती बरामद हुई।

क्या सिल्क का यही अंत होना था? क्या यह अंत उस वजह से था कि वह सिल्क स्मिता थीं? लेकिन इससे भी बड़ा सवाल कि क्या सिल्क और उन जैसी लड़कियां नैतिकता को चैलेंज करते हुए समाज से खेलती हैं (जैसा कि अक्सर कहा जाता है) या यह समाज है जो असल में उनसे खेल रहा होता है? वे समाज के लिए चैलेंज बनती हैं या खिलौना?

सिल्क की मौत के 15 बरस बाद भी ज्यादा कुछ नहीं बदला है।

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