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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

दीवाली की रात



सच की जीत,
इन्साफ की फतह,
हर आँगन में,
नूर की कतार,
ये रात, रोशनी का पैगाम लेकर आयी है,

दोस्ती का शगुन,
प्यार की वजह,
मन के अँधेरे भी,
आज दो उतार,
ये रात, रोशनी का पैगाम लेकर आयी है,

आओ अँधेरे मिटाएं,
सूनी-सूनी किन्हीं आँखों में,
सपने जलायें,
ये दीवाली यूं मनाएं -
हँसी की फुल्झड़ियाँ,
ख़ुशी की लड़ियाँ पिरोयें,
घर घर में बांटे,
उम्मीदों की बर्फी,
उमंगों से गलियों को जगमगायें,
जिन्दगी की शम्मा,
जहाँ बुझ रही है,
चिरागों का कारवाँ,
आओ वहाँ ले के जाएँ ।

सभी साथियों को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं, आप सब अपने परिवार के साथ इस दीपोत्सव का भरपूर आनंद लें, जाते जाते एक शेर अर्ज है -



वो जल उठा,सरे-शाम ही चिरागे-हयात बनकर,

अंधेरो को मेरे घर की कभी टोह न मिली॥



शुभ दीपावली 

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